पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, एक बाण बनाने वाला बाण बना रहा था, राजा की सवारी निकल गई, उसने देखा नहीं। गुरु दत्तात्रेय वहां खड़े देख रहे थे, उनको भी उसने नहीं देखा। गुरु ने उसे गुरु बना लिया। जैसे बाण की नोक सीधी करने में वह आस-पास सब भूल गया था, राजा की सवारी भी उसे नहीं दिखाई दी। इसी तरह ईश्वर के चिंतन में जब जीव सारे जगत को भूल जायेगा, तब तत्काल उसे शांति प्राप्त होगी। परमात्मा का साक्षात्कार हो जायेगा। उन्होंने बाण बनाने वाले को भी गुरु मान लिया। पिंगला की कथा से शिक्षा लिया संसार से आशा ही दुःख का हेतू है। आशा एक राम जी से दूजी आशा छोड़ दे, नाता एक राम जी से दूजा नाता तोड़ दे। हानिबाद निर्विवाद राम राम कहिए, जाही विधि राखें राम ताही विधि रहिए। मन की वृत्ति मुड़ी और भजन में लग गई। भजन में लगते ही पाप खत्म हो जाते हैं। मृत्यु के समय परमात्मा आकर दर्शन देते हैं और उस जीव की मुक्ति हो जाती है। जिसकी वृत्ति पूरे जीवन संसार की तरफ रही वह भगवत कृपा से वंचित रह गया, लेकिन जिसकी वृत्ति परमात्मा की तरफ मुड़ गई उसका कल्याण हो गया। सबसे बड़ा तप क्या है? धर्म शास्त्र कहते हैं संसार की कामनाओं का त्याग सबसे बड़ा तप है। सबसे बड़ा दान क्या है? दूसरे को दंड न देना यह सबसे बड़ा दान है। सबसे बड़ी शूर वीरता क्या है ? अपने कड़वे स्वभाव पर विजय प्राप्त कर लेना, इससे बड़ी शूरवीरता कोई नहीं है। अपका स्वभाव थोड़ा गर्म है, क्रोध आ जाता है। कोई उपाय बताइए कि क्रोध न आये? लोग पूछते रहते हैं। अपने स्वभाव पर विजय प्राप्त कर लेना अर्थात् यदि मालुम है कि हमारा स्वभाव गलत है तो उसे बदल लेना ही सबसे बड़ी शूरवीरता है।सबसे बड़ा सत्य क्या है ? सबको एक दृष्टि से देखना, सबसे बड़ा सत्य है। पवित्रता क्या है ? कर्म में आसक्ति न होना ही सबसे बड़ी पवित्रता है। सन्यास किसे कहते हैं? त्याग हो जाना ही सन्यास है।सबसे बड़ा धर्म क्या है ? व्यक्ति का सबसे बड़ा सहायक कौन है? लोक और परलोक में सबसे बड़ा सहायक कौन है ? भगवान कहते हैं धर्म। तुम्हारा पति तुम्हारा सहायक नहीं बन सकता, यदि तुम्हारा धर्म तुम्हारे साथ नहीं होगा। पत्नी तुम्हारी सहायिका नहीं बन सकती, धर्म ही सबको जोड़कर रखता है। जैसे सीमेंट ईटों को जोड़ देता है। इसीलिए धार्मिक लोगों के सब साथ होते हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश)श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)