नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड को आदेश दिया कि वह एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला ट्विन टावरों में घर खरीदने वालों को उनकी रकम ब्याज सहित 28 फरवरी तक वापस करे। इससे पहले न्यायालय ने सुपरटेक लिमिटेड को नोएडा में एमराल्ड कोर्ट परियोजना के दो 40-मंजिले टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने रियल एस्टेट कंपनी द्वारा रिफंड रकम को लेकर सुझाए गए फॉर्मूले को खारिज कर दिया और कहा कि एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल द्वारा सुझाए गए गणना फार्मूले के आधार पर रकम दी जाए। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने घर खरीदारों की अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।
इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि बिल्डर शीर्ष न्यायालय के पिछले साल 31 अगस्त के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है। जिसमें ब्याज सहित बकाया चुकाने की बात कही गई थी। पीठ ने कहा कि इस अदालत द्वारा जारी किए गए निर्देशों की प्रकृति को देखते हुए वह उस गणना को स्वीकार करेगी, जिसे एमिकस क्यूरी ने सुझाया है। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि घर खरीदारों, जिन्होंने अदालत के समक्ष अवमानना याचिका दायर नहीं की है, वे भी ब्याज के साथ वापसी रकम का भुगतान ले सकेंगे। साथ ही बिल्डर के वकील द्वारा दिए गए आश्वासन से यह सुनिश्चित किया कि यह एक सप्ताह के भीतर हो जाएगा।