पेड़ों की अवैध कटाई के लिए फंसे DDA अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 25-25 हजार रुपये का जुर्माना

Supreme Court : डीडीए के अधिकारियों ने दिल्ली के दक्षिणी रिज में सड़कों को चौड़ा करने के लिए अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवमाननापूर्ण अपराध माना और कार्रवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार डीडीए अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने वृक्षारोपण को बढ़ावा देने और दिल्ली में हरित कवर को बढ़ाने के लिए डीडीए और दिल्ली सरकार को सुझाव देगी।

जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दिया निर्देश

जानकारी के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने निर्देश दिया कि अब से वनरोपण, सड़क निर्माण, पेड़ों की कटाई या संभावित पारिस्थितिक गतिविधि से संबंधित प्रत्येक अधिसूचना इस न्यायालय के समक्ष संबंधित कार्यवाही के लंबित होने का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।

मद्रास हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस टी विनोद कुमार को तेलंगाना उच्च न्यायालय से ट्रांसफर कर मद्रास उच्च न्यायालय भेजने का विचार किया है। वहीं मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 26 मई की बैठक में यह सिफारिश की। जानकारी के मुताबिक, उन्होंने ओस्मानिया यूनिवर्सिटी से स्नातक और एलएलबी की पढ़ाई की। इस दौरान उन्‍होंने साल 1988 में जस्टिस कुमार आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में वकील के तौर पर पंजीकृत हुए। 26 अगस्त 2019 को उन्हें तेलंगाना उच्च न्यायालय में बतौर जज नियुक्त किया गया। 

इन लोगों की हुई ट्रांसफर की सिफारिश

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार जस्टिस विनोद कुमार के अलावा कॉलेजियम ने राजस्थान, त्रिपुरा, झारखंड और मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के ट्रांसफर की भी सिफारिश की। इनमें जस्टिस एमएस रामचंद्र राव को झारखंड से त्रिपुरा उच्च न्यायालय, जस्टिस केआर श्रीराम को त्रिपुरा से तेलंगाना उच्च न्यायालय, जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव को राजस्थान से मद्रास उच्च न्यायालय, जस्टिस अपरेश कुमार सिंह को त्रिपुरा से तेलंगाना उच्च न्यायालय, भेजा गया है। 

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