जो असंतुष्ट है वही बड़ा दरिद्र है: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सबसे बड़ा दरिद्र कौन है? भगवान् श्री कृष्ण श्रीमद्भागवत महापुराण में कहते हैं कि- जो असंतुष्ट है वही बड़ा दरिद्र है। संतोष बड़ा धन है। भागवत में लिखा है- भूख प्यास से काम का अंत होता है, शत्रु के मरने से क्रोध शांत होता है, दसों दिशाएं जीतने पर भी लोभ का नाश नहीं होता। लोभ ही असंतोष पैदा करता है। उदाहरण जगत विख्यात है कि- कोई व्यक्ति किसी राजा से कुछ मांगने गया। जब उसने राजा को भी ईश्वर से मांगते देखा, तो वह वहां से लौटने लगा, राजा के पहुंचने पर उसने बताया कि मैं तुमसे कुछ मांगने आया था, परंतु तुम्हें मांगते देखा तो सोचा मैं छोटा मंगता हूं और तुम बड़े मंगता हो। मांगना तो हमें ईश्वर से है। सबसे बड़ा दीन-हीन (कृपण) कौन है? भगवान् श्री कृष्ण श्रीमद्भागवत महापुराण के ग्यारहवें अध्याय में उद्धव जी को उपदेश देते हुए कहते हैं कि- जो जितेंद्रिय नहीं है वही दीन-हीन है। भाव यह है कि- इंद्रियों को जो बस में नहीं करता वही दीन-हीन है। याज्ञवल्क्य ने पत्नी गार्गी से कहा था कि- जो ईश्वर को जाने बिना संसार से विदा हो जाता है, वही दीन-हीन है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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