फिटनेस। तन और मन दोनों को एक्टीव और स्वस्थ बनाने के लिए नियमित एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। व्यायाम के कई प्रकार हैं। इसे लेकर असमंजस होना लाजमी है कि कौन सा व्यायाम अपनाया जाए या किस व्यायाम का असर ज्यादा अच्छा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सबसे अच्छा व्यायाम रूटीन वह होता है जिसमें शरीर के हिसाब से विभिन्न प्रकार के व्यायाम का मिश्रण हो। यानी कार्डियो, फ्लेक्सिबिलिटी, एंड्यूरेंस, बैलेंसिंग, स्ट्रेचिंग आदि का संतुलित मिश्रण।
कुछ व्यायाम ऐसे भी होते हैं जो एक साथ पूरे शरीर के लिए लाभदायक हो सकते हैं। जैसे कि दौड़, ब्रिस्क वॉक, योगा आदि बस इसके लिए इन्हें सही तरीके से अपनाने की जरूरत होती है। जायरोटॉनिक एक ऐसी व्यायाम है जो एकसाथ कई एक्सरसाइज के फायदे आपको दे सकती है। जरूरत बस इसको सही तरीके से सीखने और लागू करने की होती है।
शरीर और मन दोनों की एक्सरसाइज :-
जायरोटॉनिक एक्सरसाइज की एक ऐसी विधा है जो मुख्यतः विशेष मशीन या साधनों के साथ की जाती है। इसमें पूरे शरीर को एक निश्चित लय में गतिशील रखते हुए घुमाया जाता है और शरीर के हर जोड़ पर फोकस किया जाता है। भले ही यह तकनीक बाकी एक्सरसाइज जितनी प्रचारित न हो पाई हो लेकिन इसके फायदे किसी भी एक्सरसाइज से कम नहीं हैं, बल्कि यह एकसाथ पूरे शरीर और दिमाग दोनों को फीट रखती है। साथ ही इससे पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग भी हो जाती है। जायरो एक ग्रीक शब्द है जिसका मतलब है ‘स्पाइरल’ या ‘सर्कल’ और टॉनिक से तात्पर्य है स्वस्थ मांसपेशियां। मतलब शरीर की सभी मांसपेशियों पर इसका सकारात्मक असर होता है।
शरीर की भीतरी मालिश जैसा फायदा
जायरोटॉनिक में जिस प्रकार की गतिविधियां या एक्सरसाइज सम्मिलित की जाती हैं उनसे पूरा शरीर इस तरह से संचालित होता है कि हर एक जोड़ और शरीर की हर एक मांसपेशी को फैलने और रिलेक्स होने का मौका मिलता है। यह असर बहुत कुछ उसी तरह का है जैसा शरीर की ऊपरी मालिश करने पर मिलता है। इसलिए जायरोटॉनिक को विशेषज्ञ शरीर के भीतर से बाहर की मालिश के रूप में भी प्रचारित करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस एक्सरसाइज के एक सेशन में ही योगा, ताई ची और स्वीमिंग जैसा असर प्राप्त होता है। जोड़ों को सर्कल में घुमाने, शरीर को लय में फैलाने और संचालित करने की इस प्रक्रिया में दिमाग भी पूरी तरह भाग लेता है। इसलिए इस एक्सरसाइज को शरीर और दिमाग दोनों की फिटनेस के लिए अच्छा माना जाता है। सबसे अच्छी बात यह कि यह एक्सरसाइज अपने आप में कई सारी एक्सरसाइज का मिश्रण है, ऐसे में यह अपने आप में एक सम्पूर्ण वर्कआउट है।
एक साथ कई मूवमेंट्स :-
जायरोटॉनिक जिस मशीन पर किया जाता है वह मुख्यतः लकड़ी की बनी होती है। इससे एक साथ अनेक मूवमेंट्स किये जा सकते हैं। इसमें सामान्य पुली टॉवर भी होता है जो अक्सर जिम में देखने को मिलता है लेकिन जायरोटॉनिक में इस पुली के साथ बैले जैसे स्टेप्स एक्सरसाइज के रूप में किये जाते हैं। मशीन के साथ में एक बेंच जुड़ी होती है जिसपर बैठकर या अधलेटे रहकर एक्सरसाइज की जा सकती है। एक्सरसाइज की यह विधा काफी पुरानी है इसलिए वर्तमान में इसकी मशीनें भी जरूरत और एक्सरसाइज के हिसाब से और मोडिफाई की गई हैं। शरीर की संरचना, जरूरत और स्थिति के हिसाब से मशीन को एडजेस्ट किया जा सकता है। इसलिए इसे किसी प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति की देख रेख में ही करने की सलाह दी जाती है, जैसा कि जिमिंग के लिए भी कहा जाता है।
इसके फायदे :-
- यह मांसपेशियों को मजबूती देने के साथ ही लचीलापन प्रदान करती है।
- रीढ़ की हड्डी को पूरी क्षमता से काम करने में मदद करती है। झुकने, मुड़ने और घूमने जैसे रीढ़ की हड्डी के संचालनों को सुचारू बनाती है।
- पूरे शरीरको अधिक फुर्तीला, लचीला और मजबूत बनाने में मदद करती है और स्टेमिना बढ़ाती है ।
- यह पोश्चर संबंधी असंतुलन को दूर करती है। जो लोग कम उम्र में ही झुककर बैठने, चलने की आदत बना लेते हैं, उनको इससे बहुत फर्क पड़ सकता है। वहीं उम्रदराज लोगों के पोश्चर को भी यह संतुलित बनाये रखने में मदद कर सकती है।
- इसकी हर एक्सरसाइज के साथ सांस की लय को भी संतुलन में रखा जाता है। यह फेफड़ों को मजबूती देने के साथ ही श्वसन तंत्र को भी मजबूत बनाती है।
जोड़ों और मांसपेशियों के लिए विशेष कारगर :-
- यह मांसपेशियों में जकड़न, जोड़ों की समस्या जैसी स्थितियों में भी आराम दे सकती है। कलाई से लेकर घुटनों, कूल्हे की हड्डी और कन्धों तक के जोड़ों के लिए इसमें विशेष मूवमेंट्स होते हैं।
- मांसपेशियों का लचीलापन, मजबूती बढ़ाने, बैलेंस बनाये रखने, लोअर बैक पेन में राहत देने में भी यह काफी मददगार होती है।
- यह एक लय में संचालित होती है इसलिए इन गतिविधियों में दिमाग भी पूरी तरह से शामिल होता है और एक तरह से ध्यान की अवस्था में आ जाता है। इससे मानसिक सेहत को भी सुचारूबनाये रखने में मदद मिलती है।
- यह डांस, योगा आदि जैसी गतिविधियों के जैसा लाभ भी देती है। इसे सामान्य फिजिकल फिटनेस के अलावा उम्र के साथ होने वाली समस्याओं, विशेष शारीरिक परिस्थतियों व दुर्घटना के बाद की फिजियोथैरेपी आदि के लिए भी उपयोग में लाने की सलाह दी जाती है।