Vasantik Navratri 2024: कुल की देवी-देवताओं के पूजन के लिए विशेष है वासंतिक नवरात्र, जानिए क्‍या है इसकी मान्‍यता

Vasantik Navratri: आज के भागदौड़ वाले समय में अधिकांश लोग अपने कुल की देवी देवताओं को भूलते जा रहे हैं. माना गया है कि कुल की देवी देवताओं का परिवार पर काफी आशीर्वाद रहता है और उन्हें भूलने से तमाम प्रकार की अनजान मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. इनसे बचाव के लिए जरूरी है कि अपने कुल देवी देवताओं का पूजन अर्चन करते रहे.

दरअसल, वासंतिक नवरात्र को अपने कुल देवी और देवताओं के पूजन की दृष्टि से बहुत विशेष माना जाता है और इसे आत्म शुद्धि के पर्व के रूप में लिया जाता है. बता दें कि वासंतिक नवरात्र को ही चैत्र नवरात्र भी कहा जाता है. इस अवसर घर-घर में इस काम को करने से हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है.

Vasantik Navratri: मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की होती है पूजा

नवरात्रि की पहली तिथि से नवमी तिथि तक प्रत्येक दिन जीवन शक्ति रुपी दुर्गा के नव रूप की आराधना की जाती है. इसमें शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल है. इसका तात्विक अर्थ है कि नौ द्वार वाले शरीर रुपी दुर्गा के भीतर रहने वाली शक्तियों का पूजन कर उर्जा प्राप्त किया जा सकता है.

Vasantik Navratri: क्‍या है मान्‍यता

मान्यता यह है कि नवरात्र में महाशक्ति की पूजा कर प्रभु श्रीराम ने अपनी खोई हुई शक्ति प्राप्त की थी. आदि शक्ति की आराधना का हमारे हमारे वेदों पुराणों में भी काफी महत्व दिया गया है. पौराणिक कथा अनुसार प्राचीन काल में दुर्गम नामक राक्षस ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया. उनसे वरदान प्राप्त करने के बाद राक्षस ने चारों वेद और पुराणों को अपने कब्जे में लेकर कहीं छिपा दिया.

इसके बाद पूरे संसार में वैदिक और धार्मिक काम बंद हो गए, जिससे चारों ओर घोर अकाल पड़ गया. पेड़, पौधे, नदी, नाले सूखने लगे. चारो ओर हाहाकार मच गया. सभी जीव जंतु मरने लगे. सृष्टि का विनाश होने लगा. इस सृष्टि को बचाने के लिए देवताओं ने निरंतर नौ दिनों मां जगदंबा की अराधना की और उनसे सृष्टि बचाने की विनती की. इससे प्रसन्न हो कर मां ने असुर दुर्गम से लड़ाई कर उसका वध कर दिया. तब से ही इस नौ दिनी व्रत उपासना का शुभारंभ हुआ.

Vasantik Navratri: नवरात्र में ऐसे करें कन्‍या पूजन

हिन्‍दू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि में मां जगदंबा के सभी नौ स्वरूपों का स्मरण करते हुए कन्या पूजन का विधान है. शास्‍त्रों के अनुसार, कन्‍या पूजन के के लिए सबसे पहले घर में प्रवेश करने पर कन्याओं के पांव धोए जाते हैं, इसके बाद उन्हें उचित आसन पर बैठा कर हाथ में मौली बांधे और माथे पर टीका लगाएं. उन्हें थाली में हलवा पूड़ी और चने परोसे. आटे से बने एक दीपक को शुद्ध घी से जलाएं. कन्या पूजन के बाद कन्याओं को अपनी थाली में से प्रसाद खाने को दें.

Vasantik Navratri: घर के कुल देवी देवताओं के पूजा का विधान

इसके बाद कन्याओं को उचित उपहार तथा कुछ राशि भेंट में अवश्य दें. बाद में उनके चरण छुए और विदाई दें. स्वयं प्रसाद खाने से पहले पूरे घर में घड़े का जल छिड़के जिससे शुद्धि आती है. वहीं, ज्‍योतिषाचार्यो के मुताबिक, इस नवरात्र में घर के कुल देवी देवताओं का विधि विधान से पूजन किया जना चाहिए. ऐसा करने से वह जल्दी प्रसन्न हो कर सुख समृद्धि का आशिर्वाद देते है. नवरात्र के अवसर पर देवी के पूजन अर्चन से जीवन में नई ऊर्जा का आगम होता है.

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