हेल्थ। इस समय में दुनिया में अधिकतर लोग किसी न किसी बीमारी के वजह से परेशान है। इनमें कुछ बीमारीयों का पता चल जाता है, वहीं कुछ बीमारीयों का पता भी चलता, कि उसका इलाज करके कुछ राहत पाया जा सके। वहीं, कई ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनका कोई सटीक इलाज नहीं है। इनमें से एक ल्यूपस डिजीज है। दुनिया में लाखों लोग ल्यूपस डिजीज से परेशान हैं। हर वर्ष ल्यूपस डिजीज के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए वर्ल्ड ल्यूपस डे मनाया जाता है। इस खास दिन के मौके पर आपको बताएंगे कि ल्यूपस डिजीज क्या है और यह शरीर के अंगों को कैसे प्रभावित करती है। साथ ही यह भी जानते है कि इसकी वजह क्या होती है और इलाज किस तरह किया जाता है।
ल्यूपस लंबे समय तक चलने वाली एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित होने पर शरीर का इम्यून सिस्टम स्वस्थ टिश्यू पर हमला करना शुरू कर देता है। बता दें कि ल्यूपस डिजीज कई तरह की होती हैं, जिनका किडनी, फेफड़े, नर्वस सिस्टम, खून की धमनियां और हार्ट हेल्थ पर बुरा असर होता है। इस बीमारी से बॉडी के प्रमुख अंग डैमेज होने का खतरा पैदा हो जाता है। इन अंगों की फंक्शनिंग में गड़बड़ी आने पर शरीर का पूरा सिस्टम बिगड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि ल्यूपस बीमारी का सही समय पर इलाज कराया जाए। यह डिजीज स्किन, पेट, मसल्स, जॉइंट्स और बालों को भी प्रभावित कर सकती है।
ल्यूपस डिजीज बीमारी के होने की वजह
ल्यूपस एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसका अब तक सटीक कारण पता नहीं लग सका है। इस बीमारी की वजह जेनेटिक प्रॉब्लम भी हो सकती है। जिन लोगों के किसी फैमिली मेंबर को यह समस्या है, उन्हें इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। स्मोकिंग, पॉल्यूशन और इंफेक्शन की वजह से यह बीमारी ट्रिगर हो सकती है। सूरज की रोशनी में ज्यादा रहने से भी यह परेशानी ट्रिगर होने का खतरा रहता है। ल्यूपस बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। करीब 20 प्रतिशत लोगों को यह बीमारी 20 साल की उम्र से पहले ही हो जाती है। इसके लक्षण सभी में अलग-अलग होते हैं।
ल्यूपस डिजीज के लक्षण
- अत्यधिक थकान होना
- मसल्स और जॉइंट पेन
- बुखार और सीने में दर्द
- मुंह में छाले होना
- धूप के प्रति सेंसिटिविटी
- मेमोरी को लेकर प्रॉब्लम
- नाक और गालों पर लाल रैशेज
- अत्यधिक सिर दर्द होना
- असामान्य बालों का झड़ना
ल्यूपस डिजीज का इलाज
ल्यूपस को इलाज के द्वारा पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन इलाज से इसे कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। इस बीमारी के मरीजों को इंफ्लेमेशन कम करने की दवा दी जाती है, ताकि ऑर्गन की डैमेज को रोका जा सके। आमतौर पर ब्लड और यूरिन टेस्ट से ल्यूपस की बीमारी का पता लगाया जा सकता है।