नई दिल्ली। पहले से ही मंहगाई की मार झेल रही आम जनता की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को लगातार तीसरी बार नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है। इससे जहां बैंकों से मिलने वाले कर्ज महंगे हो जाएगे वहीं दूसरी ओर ईएमआई पर भी अधिक भुगतान करना पड़ेगा।
नीतिगत ब्याज दरों में यह वृद्धि अप्रत्याशित नहीं है, बल्कि पिछले दिनों ही ऐसे संकेत आ गए थे कि मौजूदा हालात में ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद घोषणा की कि नीतिगत ब्याज दर में 50 बेसिस प्वाइण्ट की वृद्धि कर दी गई है। इसके बाद रेपो रेट 4.9 प्रतिशत से बढ़कर 5.4 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है, जो कोरोना से पूर्व का स्तर है।
उन्होंने कहा कि हम उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से गुजर रहे हैं और वित्तीय बाजार भी अस्थिर है। वैश्विक और घरेलू परिदृश्यों को देखते हुए ही नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि की गई है। यह भी उल्लेखनीय है कि अब महंगे ब्याज का दौर शुरू हो गया है। पिछले चार माह में रेपो रेट में 1.4 प्रतिशतकी वृद्धि हो चुकी है।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.2 प्रतिशत रखा है। खुदरा महंगी दर भी 6.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। गवर्नर ने स्वीकार किया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति असन्तोषजनक स्तर पर है और यह छह प्रतिशत से ऊपर बना रहेगा।
रेपो रेट में वृद्धि के चलते अब बैंक अपने ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ डालेंगे। ऋण अदायगी की किस्त में वृद्धि हो जाएगी। होम लोन, पर्सनल लोन, आटो लोन की ईएमआई में अधिक भुगतान करना पड़ेगा। रेपो रेट में हुई यह वृद्धि एक दशक में सबसे अधिक है। अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने अभी हाल में ही अपनी ब्याज दरों में वृद्धि की थी।