आंखों के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आवश्‍यक है ‘यूथ प्रोटीन’

हेल्‍थ। उम्र बढ़ने का असर शरीर के कई अंगों पर दिखने लगता है। बढ़ती उम्र के साथ मांसपेशियों और हड्डियों की कमजोरी होने, साथ ही कई प्रकार के अन्य रोगों के विकसित होने का खतरा भी बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, 40 की उम्र के बाद शरीर में कई प्रकार के प्रोटीन्स और हार्मोन्स के स्तर में कमी आने लगती है, जिसका शरीर पर कई प्रकार से नकारात्मक असर होता है।

40 की उम्र के बाद लोगों में आंखों की समस्याएं भी बढ़नी शुरू हो जाती है, इसमें निकट की वस्तुओं या छोटे प्रिंट देखने की क्षमता कम होने लगती है। मेडिकल की भाषा में इस तरह की समस्या को ‘एजिंग आई’ के रूप में जाना जाता है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ बताते हैं, उम्र के साथ आंखों की क्षमता में आने वाली कमी के लिए कुछ प्रकार के प्रोटीन्स और हार्मोन की कमी को प्रमुख कारण माना जाता है। सामान्य तौर पर यूथ प्रोटीन, पिगमेंट एपिथीलियम ड्राइब्ड फैक्टर (पीईडीएफ) आंखों के रेटिना में कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है, जिसके कारण आंखें स्वस्थ बनी रहती हैं। इसमें आने वाली कमी के कारण उम्र बढ़ने से संबंधित आंखों की बीमारियों के बढ़ने का खतरा हो सकता है।
आइए समझते हैं कि यह यूथ प्रोटीन, आंखों की सेहत के लिए कितनी आवश्यक है और इसकी कमी को कैसे दूर किया जा सकता है?

आंखों के लिए बहुत आवश्यक है पीईडीएफ :-
नेशनल आई इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि पीईडीएफ के स्तर में गिरावट रेटिना की समस्याओं को बढ़ा देती है जिसके कारण देखने की क्षमता में कमी आने लगती है। उम्र बढ़ने के साथ कम दिखाई देने के लिए इसे एक प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा सकता है। यूथ प्रोटीन प्राकृतिक तौर पर आंखों में रिसाइकिलिंग की प्रक्रिया में विशेष भूमिका निभाता है। सामान्यतौर पर ये प्रोटीन्स रेटिनल पिगमेंट एपिथेलियम नामक सेल्स द्वारा निर्मित होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ इनमें भी कई प्रकार के विकारों के विकसित होने का खतरा हो सकता है।

पीईडीएफ के स्तर में कमी से नुकसान :-
उम्र बढ़ने के साथ आंखों, त्वचा, फेफड़ों और अन्य ऊतकों में आरपीई का उत्पादन और पीईडीएफ स्राव कम होने लगता है। शोध से पता चलता है कि पीईडीएफ फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाने और आंखों में असामान्य रक्त वाहिकाओं के विकास को रोक सकता है। उम्र के साथ पीईडीएफ के स्तर में कमी क्यों आने लगती है विशेषज्ञ इसके कारणों को लेकर स्पष्ट नहीं हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
आंखों की सेहत के लिए पिगमेंट एपिथीलियम ड्राइब्ड फैक्टर कितना महत्वपूर्ण होता है, इस बारे में सीनियर कंसल्टेंट और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ रिंकी राणा बताती हैं, आंखों को स्वस्थ रखने और उम्र बढ़ने के कारण रोशनी में आने वाली कमी से बचाने में इसकी विशेष भूमिका हो सकती है। ज्यादातर लोगों में उम्र बढ़ने के साथ इसके स्तर में कमी दिखनी शुरू हो जाती है। इस तरह की कमी की समस्या से बचाव और आंखों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन्स और खनिजों से भरपूर आहार का सेवन बहुत आवश्यक है जो आंखों की कोशिकाओं और आवश्यक प्रोटीन के स्तर को ठीक रखने में मदद कर सके।

कैसे रखें आंखों को स्वस्थ?
आंखों की सेहत का ख्याल रखना एक सतत प्रक्रिया है जिसके लिए हमें लगातार प्रयास करते रहने की आवश्यकता होती है। इसके लिए विटामिन-ए, ई, सी से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए। अध्ययनों में ओमेगा-3 फैटी एसिड वाली चीजों को शामिल करना भी आपको लाभ दे सकता है। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना भी आवश्यक है, इनके कारण भी समय से पहले आंखों की रोशनी कम होने का खतरा हो सकता है।

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