राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि कलिपावनावतार गोस्वामी श्री तुलसी दास जी महाराज का मंगलमय चरित्र कराल कलिकाल के प्राणियों का उद्धार करने के लिए आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने गोस्वामी तुलसीदास के रूप में अवतार लिया। आदिकवि ने त्रेतायुग में श्री रामायण नामक प्रबंध महाकाव्य लिखा। जिसकी संख्या सौ करोड़ है। इसके एक-एक अक्षर के उच्चारण मात्र से ब्रह्महत्या आदि महापाप परायण प्राणी भी मुक्त हो जाते हैं। अब इस कलयुग में भी उन्हीं श्री बाल्मीकि जी ने भगवद भक्तों को सुख प्रदान करने के लिए पुनः शरी धारणकर भगवान् श्री राम की लीलाओं का विशेष विस्तार किया, श्रीरामचरितमानस आदि अनेक ग्रंथों की रचना की। ये गोस्वामी तुलसीदास जी श्री सीताराम पदपद्म के प्रेम पराग को पानकर सर्वदा उनमत्त रहते थे और नियम निष्ठाओं का पालन दृढ़ता से करते थे। दिन-रात श्री राम नाम को रटते थे। इस अपार संसार सागर को पार करने के लिए आपने रामचरित्र रूप सुंदर सुगम नौका का निर्माण किया। प्रभु का दास कभी उदास नहीं हो। साधु का समय बहुत मूल्यवान होता है। प्रभु का भक्त न सुख में छलकता है , न दुख में कुम्हलाता है। जो क्षण और कण को बचाने की कला जानता है, वही संत है। अपनी इच्छा या बुद्धि से नहीं संत के निर्देशानुसार सत्कर्म करो। जो पुत्र प्राप्त होने पर भी आनंदित है, न प्राप्त होने पर भी आनंदित है, और उसके मर जाने पर भी आनंदित है, वही भक्त है। जो भगवा कपड़ा पहनता है वही परमहंस है, हृदय को भगवा करने वाला ही सच्चा परमहंस है। जीवन में साधुता के गुण उतारने पर ही संत बना जा सकता है।सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना श्री दिव्य घनश्याम श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।