गोरखपुर। अब जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए बच्चों को नई कंपनी का टीका लगेगा। इस टीके की खासियत यह है कि लिक्विड स्वरूप में है और ज्यादा असरदार है। टीके के प्रत्येक वॉयल में पांच डोज उपलब्ध है। जिले को नए टीके की 6000 डोज मिल गई है। गोरखपुर जिले के जिन 1.24 लाख बच्चों को जापानीज इंसेफेलाइटिस (जेई) टीके की प्रथम डोज के तौर पर पुरानी कंपनी के टीके लगे हैं, उन्हें अब दूसरी डोज में नए टीके लगाए जाएंगे। अब नौ महीने और डेढ़ साल के बच्चों को जेई का नया टीका ही लगाया जा रहा है। नए टीके के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय के स्तर से टीकाकरण में लगे कर्मियों को विस्तृत दिशा-निर्देश भी भेजे गए हैं। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि मच्छरजनित पहले जेई का टीका शुष्क रूप में आता था और उसे लिक्विड फार्म में बनाना पड़ता था। अब भारत में बने जेई के नए टीके लगने हैं, जो पहले से ही लिक्विड फार्म में है। जिले में पुराने टीके समाप्त हो चुके हैं और अब नया टीका ही लगाया जाएगा। जिन बच्चों की दूसरी डोज ड्यू है, उन्हें भी नया टीका ही लगाया जाएगा। जिला प्रतिरक्षण अधिकारीडॉ. पांडेय ने बताया कि जेई के नए टीके पर ओपेन वॉयल पॉलिसी लागू है और यह टीका एक बार खुलने के बाद 28 दिनों तक इस्तेमाल हो सकता है। इस संबंध में टीकाकरणकर्मियों को बताया गया है कि यह टीका पैर के मध्य जांघ के आगे व बाहर की तरफ इंट्रा मास्क्यूलर में लगाया जाएगा। वायल खोलने के बाद तुरंत दिनांक और समय डाल दिया जाएगा ताकि तय समय तक वायल का इस्तेमाल हो सके। यदि किसी को टीके की दूसरी डोज के साथ डीपीटी बूस्टर टीका लगाया जा रहा है तो जेई टीके की जगह से डेढ़ इंच तीन अंगुलियों का फासला रखना अनिवार्य होगा। जिला सहायक शोध अधिकारी के.पी. शुक्ल ने बताया कि जिले में एक वर्ष तक के करीब 1.31 लाख बच्चे ऐसे है जिन्हें नौ महीने पूरे होने पर जेई टीके का प्रथम डोज लगाया जाएगा। जेई टीकाकरण की सुविधा प्रत्येक बुधवार और शनिवार को मिलती है। शहर में चार स्थानों पर प्रतिदिन नियमित टीकाकरण हो रहा है। मोहद्दीपुर, बसंतपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र, एम्स और जिला महिला अस्पताल में किसी भी कार्यदिवस पर नियमित टीकाकरण करवाया जा सकता है।