Domestic electricity: प्रदेश के विद्युत वितरण निगमों की ओर से विद्युत नियामक आयोग में गुरूवार को वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव दाखिल किया गया. जिसमें 11 से 12 हजार करोड़ का घाटा बताया जा रहा है. यदि आयोग की ओर से प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तो 15 से 30 प्रतिशत तक बिजली (Domestic electricity) महंगी हो सकती है. वहीं, पिछली बार नौ हजार करोड़ के घाटे पर 15 से 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे नियामक आयोग ने खारिज कर दिया था.
Domestic electricity: 13.06 फीसदी आंकी गई बढ़ोतरी की दर
दरअसल, नया टैरिफ प्लान तैयार करने के पहले विद्युत वितरण निगमों की ओर से वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव दाखिल किया जाता है. इसके बाद उसी के हिसाब से बढ़ोतरी का प्रस्ताव दाखिल होता है. गुरूवार की शाम को नियामक आयोग में दाखिल एआरआर में करीब 11 से 12 हजार करोड़ के बीच गैप दिखाया है. यह आरडीएसएस योजना में दाखिल 13.06 फीसदी लाइन लॉसेंसे के आधार पर है.
आपको बता दें कि इसमें 1 लाख 45 हजार मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताते हुए उसकी कुल लागत लगभग 80,000 करोड़ से 85,000 करोड़ के बीच में आंकी गई है. हालांकि इससे पहले वर्ष 2023-24 में लगभग 92,547 करोड़ का वार्षिक राज्य आवश्यकता दाखिल की गई थी. तब बढ़ोतरी की दर 15 से 25 प्रतिशत आंकी गई थी.
Domestic electricity: बिजली दरों में बढ़ोतरी की साजिश
दरअसल, इस बार एआरआर दाखिल करते समय बढ़ोतरी की जिम्मेदारी नियामक आयोग पर छोड़ दिया गया है. इस मामले में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विद्युत निगमों पर उपभोक्ताओं का करीब 33,122 करोड़ बकाया है. वर्ष 2024-25 में निगमों की तरफ से लगभग 11 से 12 करोड़ के बीच घाटा विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरों में बढ़ोतरी की साजिश है. इस वजह से इसे सफल नहीं होने दिया जाएगा.
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