UP : कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा आज, मस्जिदों में सजदें के लिए झुके लाखों सिर

Eid ul adha 2023: देशभर में आज बृहस्‍पतिवार को पूरे कुर्बानी के जज्बे के साथ ईद-उल-अजहा का त्‍योहार मनाया जा रहा है। आज ईद-उल-अजहा के इस अवसर पर अल्लाह की बारगाह में लाखों सिर सजदे में झुकेंगे। इसके साथ उस अजीम कुर्बानी को याद करेंगे, जो हजरत इब्राहिम ने अपने रब के हुक्म से पेश की थी। ईद-उल-अजहा की नमाज के बाद शहर में अल्लाह से मोहब्बत को दुनिया की हर चीज से ऊपर रखने के जज्बे के साथ मुसलमान कुर्बानी करेंगे। बकरीद को लेकर मस्जिदों में व्यवस्थाएं मुकम्मल कर ली गई हैं। नमाज के बाद कुर्बानी का दौर शुरू होगा।

बता दें कि बकरीद के दिन पशु की कुर्बानी करने का काफी खास महत्व होता है। कुर्बानी के बाद पशु के गोश्त को तीन हिस्सों में बांट दिया जाता है। इन तीन हिस्सों में एक हिस्सा गरीबों के लिए भी रखा जाता है
शहर में ईद-उल-अजहा की सबसे बड़ी जमात ऐशबाग ईदगाह में अदा होगी। इसके इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली सुबह 10 बजे नमाज पढ़ाएंगे। शिया समुदाय की सबसे बड़ी जमात आसिफी मस्जिद में अदा होगी। यहां मौलाना सैयद सरताज हुसैन की इमामत में ईद-उल-अजहा की नमाज सुबह 11 बजे अदा होगी।

कैसे शुरू हुई कुर्बानी की परंपरा?

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, इस्लाम के पैगंबर हजरत इब्राहिम 80 साल की उम्र में पिता बने थे। उनके बेटे का नाम इस्माइल था। इस्माइल से पिता हजरत इब्राहिम को बहुत ज्यादा प्यार था। बताया जाता है कि अल्लाह के हुक्म पर बेटे इस्लाइन की कुर्बानी देने से पहले हजरत इब्राहिम ने कड़ा दिल करते हुए आंखों पर पट्टी बांध ली ली और उसकी गर्दन पर छुरी रख दी। हालांकि, उन्होंने जैसे ही छुरी चलाई तो वहां अचानक उनके बेटे इस्माइल की जगह एक दुंबा (बकरा) आ गया। हजरत इब्राहिम ने आंखों से पट्टी हटाई तो उनके बेटे इस्माइल सही-सलामत थे।

इस्लामिक मान्यता यह भी है कि ये सिर्फ अल्लाह का एक इम्तिहान था। अल्लाह के हुकुम पर हजरत इब्राहिम बेटे को भी कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए। इस तरह जानवरों की कुर्बानी की यह परंपरा शुरू हुई।

बता दें कि हर साल बकरीद की तारीख धुल हिज्जा महीने के चांद के दिखने पर ही निर्भर करती है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, धुल हिज्जा महीना इस्लाम का 12वां महीना होता है।

 

 

 

 

 

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