Yogi Adityanath: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में नाथपंथ पर आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने ज्ञानवापी को लेकर कहा कि ज्ञानवापी साक्षात ‘विश्वनाथ’ ही हैं, लेकिन आज लोग दूसरे शब्दों में उसे मस्जिद कहते हैं.
सीएम योगी ने कहा कि नाथ परंपरा ने हमेशा सबको जोड़ने की कोशिश की है. गुरु गोरखनाथ ने अपने समय में राष्ट्रीय एकता की ओर ध्यान आकर्षित किया था. आज भी रामचरित मानस समाज को जोड़ता है और वो हमारे जीवन का हिस्सा है.
शंकराचार्य ने की चार पीठों की स्थापना
उन्होंने बताया कि शंकराचार्य ने भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना की. जब वो काशी में आए थें, तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही. ऐसे में जब उन्होंने देखा कि सुबह ब्रह्ममुर्हत में आदिशंकराचार्य गंगा स्नान के लिए जा रहे होते हैं तभी अचानक एक अछूत कहे जाना वाला व्यक्ति उनके सामने आ जाता है. इस दौरान सामान्य रूप से उनके मुंह से निकलता है कि मेरे सामने से हटो.
आज का दुर्भाग्य है कि….
तब वो आदिशंकराचार्य से प्रश्न पूछता है कि आप किसको हटाना चाह रहे हैं? आपका ज्ञान क्या इस भौतिक काया को देख रहा है या ब्रह्म को देख रहा. अगर ब्रह्म सत्य है तो ये ब्रह्म मेरे अंदर भी है और अगर इस ब्रह्म सत्य को जानकर ठुकरा रहे हैं तो ये सत्य नहीं है. इतना सुनते ही आदिशंकराचार्य ने पूछा कि आप कौन हैं? उन्होंने बताया कि जिस ज्ञापव्यापी की साधना के लिए वो काशी आए हैं, मैं वहीं साक्षात विश्वनाथ हूं. ये सुनकर आदिशंकराचार्य उनके सामने नतमस्तक हो गए. और आज का दुर्भाग्य है कि लोग उसे मस्जिद कहते हैं.
देववाणी संस्कृत से है हिंदी का मूल
इसके साथ ही सीएम योगी ने सभी को हिंदी दिवस की बधाई भी दी. उन्होंने कहा कि देश को जोड़ने की एक व्यवहारिक भाषा जिसे देश की बड़ी आबादी जानती है. हिंदी का मूल देववाणी संस्कृत से है. हर भाषा का श्रोत संस्कृत से जुड़ता है. अगर हमारी भाषा और भाव स्वयं की नहीं है तो प्रगति प्रभावित होगी.
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