डेढ़ करोड़ की लागत से राप्ती नदी की होगी सफाई

गोरखपुर। गोरखपुर के राजघाट से लेकर रामघाट के आगे और पीछे करीब एक किलोमीटर की दूरी में राप्ती नदी की तलहटी से सिल्ट और कूड़ा कचरा निकाला जाएगा। करीब डेढ़ करोड़ की लागत से इस कार्य की जिम्मेदारी लखनऊ की एक फर्म को दी गई है जो इजराइल से लाई गई मशीनों से तलहटी से सिल्ट को निकालने का काम शुरू कर चुकी है। इस कार्य के पूरा हो जाने के बाद राजघाट से रामघाट तक नदी में पानी का बहाव नैसर्गिक रूप से होने लगेगा। उत्तर प्रदेश में नदियों और घाटों की दशा सुधारने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना के अनुसार गोरखपुर में राजघाट पर राप्ती नदी की तलहटी में जमे सिल्ट और गाद को निकाल कर पूर्ववत प्राकृतिक अवस्था में लाने का कार्य किया जा रहा है। दरअसल, शहर से निकलने वाला गंदा पानी नाले के जरिए राजघाट के पास सीधे राप्ती नदी में गिरता है। जिसकी वजह से राजघाट से लेकर रामघाट के बीच नदी की तलहटी में काफी मात्रा में सिल्ट जमा हो गई है। इसकी वजह से नदी में पानी का बहाव सही ढंग से नहीं हो पाता है। जब भी नदी में पानी पड़ता है तो तुरंत ही यह घाट की ओर फैलने लगता है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री की योजना के अनुसार सिंचाई विभाग ने राप्ती नदी से सिल्ट और गाद निकालने का काम शुरू कर दिया है। सिंचाई विभाग ने इस प्रोजेक्ट का जिम्मा जेएस क्लीनटेक प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा है। यह कंपनी इजराइल से लाई गई ड्रेजर मशीन आईएमएस 7012 क्लचर सक्शन से नदी के शिल्ट एवं कचरे को निकालने का काम शुरू कर चुकी है। कंपनी के आशीष चावला ने बताया कि आईएमएस 7012 क्लचर सक्शन मशीन एक किमी के दायरे में नदी किनारे की ट्रिमिंग करेगी और नदी के तलहटी में अत्यधिक मात्रा में जमे सिल्ट और कचरा को बाहर निकालने का काम कर रही है। प्रोजेक्ट 21 मई से शुरू हुआ है और लगभग 25% कार्य पूरा किया जा चुका है। कुछ तकनीकी और समयपूर्व बाढ़ की स्थिति के कारण कार्य में अवरोध उत्पन्न हो गया है। बड़े जलस्तर के दौरान ड्रेजिंग का काम करने के लिए बड़ी नाव मंगाई जा रही है। जल्द ही काम फिर से शुरू हो जाएगा। सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर दिनेश सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री की योजना के अनुसार रामघाट और राजघाट के दोनों ओर 500-500 मीटर कुल एक किलोमीटर की दूरी में राप्ती नदी की तलहटी की सफाई की जा रही है। इस कार्य से नदी की तलहटी के गहरा हो जाने से पानी की धारा का प्रवाह सीधा नदी में होगा और घाट के आसपास जलभराव और बाढ़ का संकट समाप्त होगा। साथ ही घाट के पास पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता रहेगी।

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