नई दिल्ली। पीएम मोदी आज मन की बात की 84वीं कड़ी में देशवासियों से रूबरू हो रहे हैं। यह इस वर्ष मन की बात की आखिरी कड़ी है। मन की बात में उन्होंने ग्रुप कैप्टर वरूण सिंह का जिक्र किया। उनका निधन इसी माह कन्नूर में हुए हेलीकाप्टर हादसे के बाद अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच चली जंग के बाद हो गया था। इसी हादसे में देश ने पहले सीडीसी जनरल बिपिन रावत को खोया था।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में वरूण सिंह के उस पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने अपनी कमजोरी और नाकामी का जिक्र करते हुए आने वाली पीढ़ी को आगे बढ़ने और हार न मानने का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने इस मौके पर क्रिस के एक इंडियन स्कूल में पढ़ने वाले विदेशी छात्राओं द्वारा गाए गए वंदे मातरम का वीडियो भी दिखाया।
उन्होंने कहा कि यह वीडियो देशवासियों को एक सुकून भी देता है। इसे सुनकर देखकर सभी को खुशी का अनुभव होता है। इस दौरान उन्होंने नीलेश का भी जिक्र किया, जिन्होंने लखनऊ में हुए ड्रोन शो की प्रशंसा की थी। पीएम मोदी ने कहा कि वो आने वाले एग्जाम से पहले छात्रों से चर्चा की प्लानिंग कर रहे हैं। इसके लिए 28 दिसंबर से MyGov.in पर रजिस्ट्रेशन शुरू होगा, जो 20 जनवरी तक चलेगा। इसमें 9 से 12वी क्लास तक के छात्र-छात्राएं टीचर, पैरेंट्स शामिल हो सकेंगे और इसमें एक आनलाइन प्रतियोगिता भी होगी।
उन्होंने अपील किया कि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ें। उन्होंंने तेलंगाना के डाक्टर विठलाचारी का भी जिक्र किया। उन्होंने बड़ी लाइब्रेरी खोली। यह उनका बचपन का सपना था। आज इस लाइब्रेरी में दो लाख पुस्तक मौजूद हैं। उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी इस लाइब्रेरी में लगा दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने इस संबोधन में बुक रीडिंग पर दिया। उन्होंने देशवासियों से अपील किया कि वो अपनी पांच किताबों के बारे में उन्हें बताएं। पीएम मोदी ने इस अवसर पर पुणे के भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्ट्टियूट का भी जिक्र किया। जिसने लोगों को महाभारत से रूबरू कराने के लिए एक आनलाइन कोर्स शुरू किया है। इसको अच्छा रेस्पांस मिल रहा है। आज दुनिया भारत को जानना चाहती है।
इस दौरान उन्होंने सर्गी के एक व्यक्ति डाक्टर मामोर निकीच का जिक्र किया, जिन्होंने सर्बीयन लैंग्वेज से संस्कृत भाषा की डिक्शनरी की है। इसमें 70 हजार से अधिक शब्द शामिल हैं। हैरानी की बात यह भी है कि उन्होंने 70 वर्ष की आयु के बाद संस्कृत सीखी। इस दौरान उन्होंने मंगोलियन स्कोलर डाक्टर गेंदेधरम का भी जिक्र किया, जिन्होंने कई महाकाव्यों का अनुवाद मंगोलियन लैग्वेज में किया है।