पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीगणेश महापुराण के प्रभाव का पूर्णतः वर्णन करने में ब्रह्मा और शेष भी समर्थ नहीं है। श्री गणेश-महापुराण की कथा ब्रह्मा जी ने व्यास जी को सुनाई तथा व्यास जी ने भृगु को और भृगु ने ही भूलोक में सर्वप्रथम राजा सोमकांत को गणेश पुराण की कथा सुनाई। श्री गणेश जी ने सभी भक्तों का कल्याण किया और उनकी विघ्न बाधाओं को दूर किया, उनकी इस अप्रतिम क्षमता के कारण ही वह सर्वपूज्य एवं अग्रपूज्य देव बने।श्री गणेश महापुराण की भौगोलिक पृष्ठभूमि- 1-सौराष्ट्र के देव नगर के राजा सोमकांत, 2- दक्षिण भारत के अनेकानेक नगरों, ग्रामों, आश्रमों, वनों,पर्वतों, नदियों तथा सरोवरों के जो वर्णन किये गये हैं इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि पुराणकार उससे सुपरिचित हैं। 3-पूर्वोत्तर भारत, उत्तर भारत, मध्यभारत तथा पश्चिमी भारत के अनेक प्रसिद्ध स्थलों का वर्णन किया गया है।
4- हिमालय क्षेत्र के कैलाश, समस्त पर्वत नदियों का वर्णन है, सिंधुदेश, मिथिला, शोणितपुर, बंगाल, मणिपुर, काशिराज के साथ काशी नगरी, ढूण्ढि विनायक का वर्णन किया गया है। श्री गणेश महापुराण का वैदिक इतिहास- श्री गणेश जी की उपासना का प्रचलन अनादिकाल से है। सनातन धर्म में सर्वाधिक प्रचलन पंचदेवोपासना के मूल स्वरूप का सूत्रपात ऋग्वेद काल में ही हो चुका था। श्रीगणेशजी, देवीजी, भगवान् शिव, भगवान सूर्य और भगवान नारायण के मंत्र ऋग्वेद में दृष्टिगत होते हैं। गणानांत्वा गणपति गुं हवा महे,प्रियाणांत्त्वा प्रियपति गुं हवा महे,निधीनांत्वा निधिपति गुं हवा महे। अथर्वशीर्ष जो अथर्ववेद का अंश है। उसमें स्पष्ट लिखा है- नमस्ते गणपतये, त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि, त्वमेव केवलं कर्तासि, त्वमेव केवलं भर्तासि, त्वमेव केवलं हर्तासि। आपको नमस्कार है। क्योंकि आप ब्रह्मरूप हैं। ‘तत्त्वमसि, यह वेद का महावाक्य है। श्री गणेश महापुराण की कथा श्रवण करने से जीवन की विघ्न बाधाएं कोसों दूर चली जाती है। घर परिवार समाज में मंगल ही मंगल होता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।