Lucknow: सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिसके मुताबिक अब सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को 2 साल के अंदर टीईटी (TET) यानी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करना अनिवार्य होगा. अगर कोई शिक्षक 2 साल में TET पास नहीं कर पाया, तो उसकी सरकारी नौकरी जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद यानी वर्ष 2011 से शिक्षण कार्य करने वाले सभी शिक्षकों के पास टीईटी योग्यता होना जरूरी है. इसका सीधा मतलब है कि जिन शिक्षकों ने बिना टीईटी पास किए नौकरी जॉइन की थी, उन्हें अब परीक्षा पास करनी होगी. हालांकि, जिनकी सेवा अवधि केवल 5 साल या उससे कम बची है, उन्हें आंशिक राहत दी गई है. ऐसे शिक्षक रिटायरमेंट तक काम कर सकते हैं, लेकिन प्रमोशन पाने के लिए उन्हें भी टीईटी पास करना होगा.
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के मुताबिक, 1992 में अब्दुल राशिद को मृतक आश्रित के तहत शिक्षक की नौकरी मिली थी. उस समय शिक्षक बनने के लिए केवल 12वीं पास होना ही काफी था. अब वे 53 साल के हैं और अब तक उन्होंने ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं किया है. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, उनकी तरह लाखों पुराने शिक्षक खतरे में हैं, क्योंकि TET देने के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है. पुराने बहुत सारे शिक्षक ग्रेजुएट नहीं हैं और जिनकी उम्र 50 से ऊपर हो गई है, उनके लिए दोबारा पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी आसान नहीं है.
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा शिक्षक प्रभावित
उत्तर प्रदेश में इस फैसले का असर सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा. यहां लगभग 2 लाख शिक्षक ऐसे हैं जिनके पास टीईटी प्रमाणपत्र नहीं है. इनमें विशेष बीटीसी, बीटीसी और उर्दू बीटीसी से चयनित शिक्षक भी शामिल हैं. लंबे समय से सेवा दे रहे ये शिक्षक अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सीधे प्रभावित हो रहे हैं.
सरकार की मुश्किलें और पुनर्विचार याचिका
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार की बात कही है. शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया है कि इतने बड़े पैमाने पर शिक्षकों को प्रभावित करने वाले इस आदेश का समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी. संभावना जताई जा रही है कि सरकार इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है.
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