वाराणसी। अब देश में बाढ़ और सूखा प्रभावित इलाकों में भी धान की उन्नत किस्म की फसलें लहलहाएगी। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिकों ने भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर बाढ़ और सूखा में उगने वाली धान की दस प्रजातियों के बीज पर शोध किया है। इसमें सीआरआर 801, 802 और डीआरआर 50 किस्में प्रमुख हैं। इनके मूल्यांकन और परीक्षण के लिए हैदराबाद स्थित भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान को भेजा गया है। इरी के वैज्ञानिक के अनुसार देश के कई प्रमुख संस्थानों के सहयोग से जलवायु परिवर्तन को सहने की क्षमता रखने वाले और अधिक पैदावार वाली नई किस्में विकसित की गई हैं। जिसमें जिसमें सीआरआर 801 और डीआरआर 50 सहित धान की 10 किस्मों को भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद को परीक्षण और मूल्यांकन के लिए भेजा गया है। जिसके फाइनल मंजूरी के बाद किसानों को इसका लाभ मिलेगा। सीआरआर 801, 802 और डीआरआर 50 धान की किस्में 20 से 25 दिनों का सूखा झेलने के बाद भी अच्छी पैदावार देंगी। वहीं दो सप्ताह तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में फसल खराब नहीं होगी। इस धान का उत्पादन 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगा।