भगवान श्रीराम मंदिर की दीवारों से त्रेतायुग का होगा एहसास

अयोध्‍या। रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। अभी राममंदिर की नींव भरी जा रही है। नींव भराई के तुरंत बाद ही मंदिर के प्लिंथ का निर्माण प्रारंभ कर दिया जाएगा। मंदिर को भव्यता प्रदान करने के लिए संगमरमर का भी प्रयोग किया जाएगा। राममंदिर की दीवारों पर धार्मिक थीम भी उकेरी जाएगी, ताकि राममंदिर में प्रवेश करते ही धार्मिकता एवं आध्यात्मिकता के चरम का अहसास हो। इस थीम का चयन करने के लिए ट्रस्ट दिल्ली के आर्किटेक्टों से संपर्क कर रहा है। राममंदिर की नींव कुल 44 लेयर में भरी जानी है। अभी तक 30 लेयर डाली जा चुकी है। 15 सितंबर तक नींव भराई का कार्य पूरा करने का ट्रस्ट ने लक्ष्य रखा है। इसके बाद 16 फीट ऊंची राममंदिर की प्लिंथ निर्माण का काम भी शुरू हो जाएगा। ट्रस्ट ने लक्ष्य तय किया है कि दिसंबर 2023 तक भव्य गर्भगृह में भक्तों को रामलला का दर्शन प्राप्त होने लगें। उधर दूसरी तरफ राममंदिर निर्माण के साथ-साथ अन्य प्रकल्पों व मंदिर की भव्यता का भी खाका खींचा जा रहा है। इसी क्रम में राममंदिर की दीवारों पर धार्मिक थीम गढ़ी जाएगी। श्रीराममंदिर का स्ट्रक्चर वंशीपहाड़पुर के लाल पत्थरों से बनेगा। इस पत्थरों पर धार्मिक थीम उकेरी जाएगी, ताकि भक्तों को मंदिर परिसर में त्रेतायुग का अहसास हो। इसके लिए ट्रस्ट दिल्ली के इंदिरा गांधी आर्ट सेंटर्स के कई आर्टिस्टों से संपर्क करने में जुटा हुआ है। यह आर्किटेक्ट राममंदिर आंदोलन से जुड़े रहे संतों सहित रामनगरी के अन्य प्रतिष्ठित संतों की राय से इस थीम्स की डिजाइन तैयार करेंगे। मंदिर परिसर का पूरा कामकाज मार्बल से होगा। जब पिलर और पत्थर वाला काम खत्म होगा तो उसके बाद ही मार्बल का काम शुरू होगा, ताकि मंदिर की भव्यता में निखार आ सके। राममंदिर निर्माण हो जाने के बाद भीड़ का दबाव कितना होगा इसको लेकर भी काम चल रहा है। माना जा रहा है कि जहां प्रतिदिन करीब एक लाख श्रद्धालु रामलला के दरबार में दर्शन-पूजन को पहुंचेंगे। वहीं रामनवमी पर्व पर यह संख्या करीब 10 लाख तक पहुंच सकती है।

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