लखनऊ। उत्तर प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय भी अब आफ कैंपस केंद्र खोल सकेंगे। प्रदेश सरकार ने ऐसे केंद्र शुरू करने की अनुमति दे दी है। यह केंद्र निजी विश्वविद्यालय की घटक इकाई के रूप में संचालित होंगे, हालांकि केंद्रों को संबद्धता देने का अधिकार उस निजी विश्वविद्यालय को नहीं होगा। इस कदम से नई शिक्षा नीति-2020 की अपेक्षा के अनुरूप उच्च शिक्षण संस्थाओं की संख्या बढ़ेगी। शासन ने कुछ दिन पहले ही राज्य विश्वविद्यालयों को संघटक कालेज खोलने की अनुमति दी थी,अब उसी तर्ज पर यह केंद्र भी संचालित होंगे।उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-12 वर्ष 2019) में तीन अहम संशोधन किए गए हैं। प्रथम संशोधन में निजी विश्वविद्यालयों को आफ-कैंपस केंद्र स्थापित करने की अनुमति मिली है, दूसरे में महाविद्यालयों के नाम मानक के अनुसार भूमि उपलब्ध होने पर निजी विश्वविद्यालय की स्थापना की अनुमति प्रदान किया जाना है, जबकि तीसरे संशोधन में निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 के अधीन स्थापित या निगमित विश्वविद्यालयों की प्रथम परिनियमावलियां कार्यपरिषद की ओर से बनाया जाना शामिल है।नई शिक्षा नीति-2020 में हर जिले में या उसके निकट न्यूनतम एक उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना करना, नामांकन दर में वृद्धि करना व उच्च शिक्षण संस्थाओं को संस्थागत स्वायत्तता देने के बिंदु शामिल हैं। संशोधित अधिनियम में व्यवस्था है कि महाविद्यालयों के नाम मानक के अनुसार भूमि उपलब्ध होने पर निजी विश्वविद्यालय की स्थापना की अनुमति मिलेगी। महाविद्यालय के नाम भूमि को विश्वविद्यालय की प्रायोजक संस्था की माना जाएगा। निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 के अधीन स्थापित अथवा निगमित विश्वविद्यालयों की प्रथम परिनियमावलियां कार्यपरिषद की ओर से बनाई जाएंगी। विश्वविद्यालय की ओर से बनायी गयी प्रथम परिनियमावलियों को राज्य सरकार की ओर से अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी, विश्वविद्यालयों को परिनियम बनाने में स्वायत्तता मिलेगी।