Budget 2024: आयकर स्‍लैब में कोई बदलाव नहीं, पर पुराने विवाद लिए जाएंगे वापस, इन करदाताओं को होगा लाभ

Budget 2024: वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यानी 1 फरवरी को संसद में अं‍तरिम बजट पेश कर दिया. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये अंतिम बजट है. पारंपरिक रूप से इसमें टैक्सेशन से जुड़ा कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है. इससे पहले वित्‍त मंत्रालय की ओर से बताया गया था कि अंतरिम बजट में बड़े नीतिगत फैसले और बड़ी घोषणा होने की संभावना कम है. ऐसे में वित्‍त मंत्री ने अपने अंतरिम बजट भाषण में आयकर से जुड़ा कोई बदलाव नहीं किया है.  

Budget 2024: पुराने विवाद लिए जाएंगे वापस

आयकर में बदलाव न होने के बावजूद एक करोड़ लोगों को कर से जुड़ा लाभ मिलेगा, क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में वर्षों से लंबित बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने की बात कही है. साल 1962 से जितने पुराने टैक्‍स से जुड़े विवादित मामले चले आ रहे हैं उसके साथ वर्ष 2009-10 तक लंबित रहे प्रत्यक्ष कर मांगों से जुड़े 25 हजार रुपये तक के विवादित मामलों को वापस लेने का फैसला लिया गया है.

वर्ष 2010-11 से 2014-15 के बीच पेंडिंग में रहे प्रत्यक्ष कर मांगों से जुड़े 10 हजार रुपये तक के मामलों को वापस लिया जाएगा. ऐसा करने से कम से कम एक करोड़ करदाताओं को फायदा मिलेगा. प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष का के साथ-साथ आयात शुल्‍क के लिए भी समान दरों को पहले की तरह रखा गया है. स्टार्टअप्स और सॉवरेन वेल्थ व पेंशन फंड्स में निवेश करने वालों को कर सुविधाएं प्रदान की जाएगी.  

Budget 2024: सरकार के फैसले से ईमानदार करदाताओं को होगा लाभ

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट भाषण के दौरान जीवन की सुगमता और व्यापारिक सुगमता में सुधार करने की सरकार की परिकल्पना के तहत करदाता सेवाओं में सुधार के लिए बड़ा ऐलान किया है. वित्‍त मंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में कई छोटी-छोटी, गैर-सत्यापित, गैर-समायोजित या विवादित प्रत्यक्ष कर मांग बही खातों में लंबित हैं. इनमें से कई मांग तो वर्ष 1962 तक के भी पुराने समय से हैं.

इसके वजह से ईमानदार करदाताओं को परेशानियों को सामना करना पड़ता है और बाद के वर्षों में रिफंड जारी करने की प्रक्रिया में भी परेशानी होती है. कहा कि मैं वित्तीय वर्ष 2009-10 तक की अवधि से संबंधित मामलों पर 25,000 तक तथा वित्तीय वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 से संबंधित 10,000  तक की ऐसी बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने का प्रस्ताव करती हूं. इससे लगभग एक करोड़ करदाताओं के लाभान्वित होने की उम्‍मीद है.”

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