अब दालचीनी का भी उत्पादन करेगा हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश अब दालचीनी का उत्पादन भी करेगा। इस पायलट परियोजना की शुरुआत ऊना जिला से की गई है। इसकी सफलता से राज्य के निचले क्षेत्रों में दालचीनी मसालों का वाणिज्यिक स्तर पर उत्पादन शुरू किया जा सकेगा। यह जानकारी कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने दी। कंवर ने बताया कि दालचीनी को संगठित फसल के तौर पर उगाने वाला हिमाचल पहला राज्य बन गया है। दालचीनी मसाले की पहली पौध ऊना जिला के खोली गांव में रोपी गई है। राज्य में दालचीनी मसाले उगाने की पायलट परियोजना हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर तथा कृषि विभाग की संयुक्त तत्वाधान में चलाई जा रही है। इस परियोजना को हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर द्वारा भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान केरल के संयुक्त तत्वाधान में कार्यान्वित किया जा रहा है। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिकों की तरफ से ऊना जिला में किसानों को दालचीनी फसल उगाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस वर्ष राज्य के निचले क्षेत्रों में दालचीनी फसल के विभिन्न पहलुओं पर एक हजार किसानों को गहन प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि वह दालचीनी की बेहतरीन प्रजातियों नवश्री, नित्यश्री, कोकण बीज आदि का सफल उत्पादन कर सकें। पायलट परियोजना के आरंभ में ऊना जिला के खोली गांव में लगभग 600-700 पौधे रोपे गए हैं। पांच जिलों के किसानों को प्रति वर्ष 40 हजार से 50 हजार दालचीनी पौधे मुफ्त वितरित किए जाएंगे। इनका पौधरोपण मनरेगा के माध्यम से किया जाएगा। बताया कि राज्य में प्रति वर्ष औसतन 40 हेक्टेयर भूमि पर दालचीनी की फसल को तैयार किया जाएगा। आगामी पांच वर्षों में लगभग 200 हेक्टेयर भूमि पर दालचीनी की फसल तैयार की जाएगी। कंवर ने बताया कि राज्य के गर्म तथा आर्द्रता भरे मौसम एवं सामान्य तापमान वाले ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा तथा सिरमौर जिलों में दालचीनी फसल सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है इस समय दालचीनी की फसल असंगठित तौर पर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में उगाई जाती है। बता दें कि अभी तक दालचीनी प्रदेश के जंगलों में प्राकृतिक तौर पर उगती है।