नई दिल्ली। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव आईएसए और संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित सहयोग प्रदान करने में मदद करेगा। इससे वैश्विक ऊर्जा वृद्धि और विकास को लाभ पहुंचेगा। यह मसौदा प्रस्ताव कानूनी प्रश्नों से संबंधित महासभा की छठी समिति के समक्ष पेश किया गया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने इस मसौदे की घोषणा करते हुए कहा कि यह हरित ऊर्जा कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत करेगा। उन्होंने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के लिए एक और मील का पत्थर। यूएनजीए में प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने कहा, महासभा में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से गठबंधन और यूएन के बीच एक नियमित और अच्छी तरह से परिभाषित सहयोग प्रदान करने में मदद मिलेगी। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा वृद्धि और विकास को लाभ होगा। इस अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के करीब 80 सह प्रायोजक देश भी हैं। तिरुमूर्ति ने कहा कि आईएसए तकनीकी हस्तांतरण, सौर ऊर्जा के भंडारण और सदस्य देशों को वित्तीय मदद के साथ परियोजना लेआउट जैसे कुछ सवालों के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को भारत व फ्रांस ने साझा रूप से 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (कॉप-21) के 21वें सम्मेलन में शुरू किया था। इसका मकसद सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख चुनौतियों का साथ मिलकर समाधान निकलना है। यूएनजीए गैर-सदस्य देशों, विश्व संगठनों व अन्य संस्थाओं को स्थायी पर्यवेक्षक का दर्जा दे सकती है।