त्रिपुरासुर का उद्धार करके त्रिपुरारी कहलाये भगवान शिव: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, त्रिपुरासुर का उद्धार करके भगवान त्रिपुरारी कहलाये, त्रिपुरासुर उद्धार का दार्शनिक पक्ष-भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर का वध किया। प्रभु त्रिपुरारी हैं, इसका दार्शनिक पक्ष यह है कि शिव ने त्रिपुरासुर को तो मारा ही था, लेकिन हम सबके अंदर भी त्रिपुरासुर है। स्थूल,सूक्ष्म, और कारण, ये हमारे अंदर तीन पुर हैं और भगवान् शिव तीनों पुरों के शत्रु हैं। जीव को मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। भगवान् भोलेनाथ से प्रार्थना करो कि जैसे उन त्रिपुरों को मारा था। वैसे ही हमारे भीतर के तीनों पुरों को, तीनों शरीरों को समाप्त करके, हमें शुद्ध, बुद्ध और मुक्त बनाकर परमात्मा से मिला दो और वह भोलेनाथ त्रिपुरारी करुणानिधान तुम्हारी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे और तुम्हें शुद्ध, बुद्ध और मुक्त करके परमात्मा से मिला देंगे, एक कर देंगे। इसीलिए दुनियां भर के श्मशानों में एक शरीर जलता है, लेकिन काशी के श्मशान में यदि शरीर का संस्कार हो या बाहर भी शरीर छूटे और काशी में अंतिम संस्कार किया जाय, तब तीनों शरीर जल जाता है। शरीर काशी में छूट जाये या बाहर भी छूट जाये और उस पार्थिव शरीर को काशी में अंतिम संस्कार किया जाये तब दोबारा जन्म नहीं होगा। इसीलिए काशी का श्मशान महाश्मसान कहलाता है। बिना तप किये काशी में तीनों शरीर जल जाते हैं। तीनों शरीर जल जाये तब आत्मा यमदूतों की पकड़ में नहीं आयेगी। यदि टायर बर्स्ट हो जाये, लेकिन ट्यूब न हो, तब तक हवा बंधन में है। टायर बर्स्ट होने के बाद भी जब तक ट्यूब सुरक्षित है, तब तक हवा सुरक्षित रहेगी और यदि ट्यूब भी बर्स्ट हो जाये, तब हवा हवा में लीन हो जायेगी। उसे कोई पकड़ नहीं सकेगा, वह व्यापक हवा के साथ एक हो जाती है। इसी प्रकार स्थूल शरीर के छूटने के बाद, सुक्ष्म शरीर के अंदर आत्मा तत्व बंद है, वह नर्क भी जाये और स्वर्ग भी जाये, कुकर-शुकर भी बने, वह पशु-पक्षी भी बने और यदि सूक्ष्म शरीर के साथ कारण शरीर भी जल जाये, तब आत्मज्योति कारण शरीर से निकलकर व्यापक ज्योति के साथ एक हो जाती है। और आपकी भावना के अनुरूप गोलोक चली जाये, शिवलोक चली जाये, भावना के अनुरूप आत्मा वहां जाकर विराजमान हो जाती है। जन्म मृत्यु के चक्कर से तुम्हें सदा के लिए शिव बचा लेते हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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