नई दिल्ली। शनिवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही में मु्द्रस्फीति में धीरे-धीरे कमी आने की उम्मीद है। इससे लोगों को महंगाई से राहत भी मिल सकती है। इससे अर्थव्यवस्था में बड़ी मंदी आने की संभावना भी कम हुई है।
आरबीआई गवर्नर ने बताया है कि, बाजार आपूर्ति के दृष्टिकोण से सही दिखाई दे रहा है और कई उच्च आवृत्ति संकेतक 2022-23 की पहली तिमाही में रिकवरी की ओर इशारा कर रहे हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि, हमारा वर्तमान आकलन यह है कि 2022-23 की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो सकती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये बातें कौटिल्य इकोनॉमिक कॉनक्लेव के दौरान कही है।
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि वर्तमान दौर मुद्रास्फीति के ग्लोबलाइजेशन का है। पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है। कोरोना महामारी से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में सुधार होने लगी है पर मुद्रास्फीति अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। यह अब भी केंन्द्रीय बैंकों के अनुमानों के ऊपर है।
बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए आरबीआई ने बीते मई महीने से अब तक रेपो में लगभग 4.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। उम्मीद जतायी जा रहा है कि आरबीआई का रेट सेटिंग पैनल अगस्ते में होने वाली बैठक में भी पॉलिसी रेट्स को बढ़ाने का फैसला ले सकता है।