नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय कारोबार एक- दूसरे की मुद्राओं में करने का जो निर्णय लिया गया है वह दोनों देशों के द्विपक्षीय सम्बन्धों के हित में है। इससे रुपए को जहां मजबूती मिलेगी, वहीं अमेरिकी डालर पर निर्भरता भी कम होगी। यह वैश्विक सन्देश भी है कि जब रूस जैसा विकसित देश रुपए में व्यापार कर सकता है तो अन्य देश भी जो भारत के साथ आर्थिक व्यापारिक सम्बन्ध को और प्रगाढ़ बनाना चाहता है, वह भारत के साथ रुपए में व्यापार कर सकता है।
इससे आयात- निर्यात को बढ़ावा तो मिलेगी ही साथ ही डालर की चुनौतियों को कम करने में सहायक होगा। हालांकि इसको लेकर दोनों देशों की सम्बन्धित एजेंसियों के बीच वार्ता जारी है, लेकिन अमेरिकी और यूरोपीय देशों के प्रतिबन्ध का सामना कर रहे रूस के लिए यह काफी बड़ा प्रोत्साहन होगा।
हाल में ही रिजर्व बैंक आफ इण्डिया (आरबीआई) ने रुपए को मजबूत बनाने के लिए घरेलू आयातकों और निर्यातकों को भारतीय रुपए में कारोबार करने की इजाजत दी थी, लेकिन कारोबारियों के रुख को देखते हुए केन्द्र सरकार अब यह प्रोत्साहन योजना लाने पर विचार कर रही है। यह भारतीय मुद्रा के हित में है।
इससे रुपये का अवमूल्यन रुकेगा और डालर की मांग घटने से उसकी बढ़त पर रोक लग सकेगी। हालांकि अमेरिका और यूरोपीय देश इसका विरोध करेंगे, क्योंकि इससे उनका आर्थिक हित प्रभावित होगा। भारत सरकार को इस पर ध्यान न देकर इस समझौते को अन्तिम रूप देना चाहिए। एक दूसरे की मुद्राओं में व्यापार करने से सम्बन्ध जहां प्रगाढ़ होंगे, वहीं विकास को भी गति मिलेगी। भारत और रूस के बीच कारोबार भारतीय मुद्रा में करने के निर्णय का दूरगामी असर पड़ेगा।