न्यूयॉर्क। 13 जुलाई को पृथ्वी व चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम हो जाएगी। इस कारण आज रात पृथ्वी से सुपरमून देखने को मिलेगा। बुधवार को चंद्रमा की कक्षा उसे पृथ्वी के सामान्य से अधिक करीब लाएगी। इस खगोलीय घटना को सुपरमून कहा जाता है।
अगर मौसम अनुकूल हो तो चंद्रमा अधिक चमकीला और अधिक बड़ा दिखाई दे सकता है। आज की पूर्णिमा को ‘बक मून’ नाम दिया गया है। इसे 13 जुलाई की रात 12:07 मिनट पर देखा जा सकता है। इसके बाद यह तीन जुलाई 2023 को दिखेगा।
धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम:-
बुधवार को धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम हो जाएगी। सुपरमून के दौरान चंद्रमा की दूरी धरती से सिर्फ 3,57,264 किलोमीटर रहेगी। सुपरमून के कारण समुद्र में उच्च और कम ज्वार की बड़ी श्रृंखला देखी जा सकती है। खगोलविदों के अनुसार, सुपरमून के दौरान तटीय इलाकों में तूफान आ सकता है और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
इसके अलावा सुपरमून के कुछ घंटों बाद फुलमून नजर आएगा जिसे दो से तीन दिन तक देख सकते हैं। दरअसल यह फुलमून नहीं होगा, लेकिन चांद के आकार की वजह उसी तरह नजर आएगा। इस दौरान चांद पर परछाई की स्ट्रिप बहुत पतली दिखाई देगी। चांद में बदलाव काफी धीरे होगा जिसकी वजह से फुलमून की ही तरह नजर आएगा। खुली आंखों से इस प्रकिया को देखना थोड़ा कठिन है।
कैसे सुपरमून शब्द की हुई शुरुआत?
सुपरमून शब्द की शुरुआत साल 1979 में हुई। ज्योतिषी रिचर्ड नोले ने इस शब्द को चलन में लाया था। जब चंद्रमा धरती के निकटतम 90 फीसदी के दायरे में आता है, तो इस खगोलीय घटना को सुपरमून कहते हैं। सुपरमून को ‘बक मून’ के नाम से भी जानते हैं। इसके साथ दुनिया भर में इसको अलग-अलग नाम से जाना जाता है।