यात्रा। आदि शक्ति दुर्गा देवी के विभिन्न रूपों में मैहर स्थित मां शारदा देवी का मंदिर 108 शक्ति पीठो में से एक है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर शहर के विंध्य क्षेत्र में 600 फीट ऊँचे त्रिकूट पर्वत पर बसा हुआ है। यह स्थान मैहर स्टेशन से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में मां शारदा के दर्शन के लिए वैसे तो हर मौसम में आया जा सकता है लेकिन नवरात्र में यहां की महिमा कुछ अधिक बढ़ जाती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 1065 सीढ़ीयां चढ़नी पड़ती है। यहां रोप- वे ट्राली की भी सुविधा है जिससे भक्त आसानी से माता के दरबार तक पहुंच जाते है।
शारदा मंदिर का इतिहास-
हिन्दू पौराणिक तथ्यों के अनुसार राजा दक्ष की ओर से बुलावा नहीं आने पर माता सती यज्ञ कुंड में कूद गई थी जिससे उनका शरीर जलने लगा। उनके जलते शरीर को लेकर भगवान शिव तांडव करने हुए पूरे ब्राह्मांड का चक्कर लगाने लगे। जहां जहां उनका अंग और आभूषण गिरा वह स्थान शक्तिपीठ बनते चले गए। यहां की मान्यता यह है की यहां माता सती का हार गिरा था। मैहर का मतलब (माई का हार) जिसकी वजह से इस जगह का नाम मैहर पड़ा। प्राचीन काल में मैहर मंदिर की खोज आल्हा और उदल नाम के दो योद्धाओं ने किया था। दोनों भाइयों की तपस्या से प्रसन्न होकर अपने दैवीय रूप में दर्शन दिए तथा उन्हें अमर होने का वरदान दिया।
मंदिर खुलने से पहले ही हो जाता है मां का श्रृंगार-
मान्यता है कि अमरता का वरदान पा चुके आल्हा आज भी रात में 12 बजे के बाद देवी के पूजा अर्चना के लिए शारदा देवी मंदिर में आते है। उस वक़्त मंदिर के दरवाजे बंद रहते है। हर सुबह मंदिर खुलने के पहले ही माँ शारदा देवी की पूजा हो चुकी होती है। मैहर मंदिर का यह चमत्कार बिलकुल सत्य है। मैहर मंदिर के लिए कुल 1065 सीढ़ीयां है। श्रद्धालुओं को जरा भी थकान महसूस नहीं होती क्योकि वो देवी दर्शन के लिए लीन होते है। सीढ़ीयों के किनारे यात्रियों को आराम करने के लिए जगह- जगह पर बैठने की सुविधाएं है। दर्शनार्थियों को धूप और बारिश से बचने के लिए मैहर की सीढ़ियों के ऊपर छत भी बनाया गया है। शारदा मंदिर सुबह 5 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है। बीच में एक बजे से तीन बजे तक श्रृंगार के लिए दर्शन बंद रहता है।
मैहर के आस पास घूमने की जगह-
शाम को लाइट की रौशनी में मंदिर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। मैहर धाम में मंदिर के अलावा आल्हा उदल अखाड़ा, पन्नी खोह जल प्रपात, बड़ा अखाड़ा मंदिर, इच्छा पूर्ति मंदिर, गोल मैथ मंदिर, नीलकंठ मंदिर, बड़ी खेरमाई मंदिर आदि के दर्शन किए जा सकते है।