एस्ट्रोलॉजी। हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को बेहद पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में रुद्राक्ष को शिव जी का रूप माना जाता है। मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। शास्त्रों के अनुसार जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं, उनके ऊपर भगवान भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है। रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं। इन सभी रुद्राक्ष का अपना अलग-अलग महत्व होता है।
इन्ही में से एक है छह मुखी रुद्राक्ष। ज्योतिष के अनुसार, छह मुखी रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का आह्वान करने में मदद करता है। माना जाता है कि छह मुखी रुद्राक्ष को पहनने वाले पर शिव पुत्र गणेश जी और भगवान कार्तिकेय की कृपा होती है। इसलिए वह ज्ञानी और आकर्षण का केंद्र बन जाता है। साथ ही छह मुखी रुद्राक्ष को देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है। चलिए जानते हैं छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे और विधि-
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि:-
छह मुखी रुद्राक्ष को पहनने के लिए सोमवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इसे धारण करने से पहले प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात घर की पूर्व दिशा में बैठकर “ॐ ह्रीं हं नम:” का 108 बार जाप करें। फिर विधि पूर्वक अभिमंत्रित करके ही धारण करें। लेकिन इसे धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह जरूर लें।
छह मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे:-
- छह मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति के आकर्षण को बढ़ाता है।
- छह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति में ज्ञान को बढ़ाता है।
- छह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के वक्तव्य कौशल और कलात्मक गुणों को बढ़ाता है।
- ये शुक्र ग्रह के प्रभाव को नियंत्रित करता है।
- छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति जीवन, प्रेम और सुंदरता की सराहना करना सीखता है।
- छह मुखी रुद्राक्ष कई बीमारियों जैसे- थायराइड और मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
- ज्योतिष के अनुसार, जिन लोगों को गठिया और आंखों की रोशनी की समस्या का सामना करना पड़ता है, वे छह मुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान:-
- यदि आप छह मुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं तो तामसिक भोजन और बुरी आदतों से दूर रहें।
- किसी की अंतिम संस्कार में शामिल होने से पहले इसे निकाल कर किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें।
- इसे रात में पहन कर न सोएं। सोने से पहले इसे निकाल दें और अपने मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर के पास रख दें।