मोदी सरकार ने DBT ट्रांसफर का बनाया रिकॉर्ड, 2.25 लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचाया

नई दिल्ली। डीबीटी के अंतरगत दो वित्तीय वर्षों के दौरान 1,300 करोड़ लेनदेन के द्वारा लाभार्थियों को लगभग 12.5 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड रकम ट्रांसफर की गई। यह राशि वर्ष 2014 के बाद से हुए कुल डीबीटी ट्रांसफर का लगभग 44% है।

रिपोर्ट के आकडे के अनुसार 31 मार्च, 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में लगभग 6.17 लाख करोड़ रुपये लोगों को ट्रांसफर किए गए। वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में 6.3 लाख करोड़ रुपये से ट्रांसफर किए गए थे। जबकि यह इससे पहले के वित्तीय वर्षों की तुलना में एक लंबी छलांग थी, जब कोविड-19 महामारी से पहले वित्तीय वर्ष 2019-20 में डीबीटी के तहत लोगों को 3.82 लाख करोड़ रुपये भेजे गए थे।

‘DBT से 2.25 लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचे’
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सीबीआई अधिकारियों को अपने संबोधन के दौरान डीबीटी का जिक्र किया था। उन्होंने बताया कि ‘एक प्रधानमंत्री ने तो कहा था, एक रुपया जाता है 15 पैसा पहुंचता है,  जिसमे 85 पैसों की चोरी होती थी। बीते दिनों मैं सोच रहा था कि हमने DBT के द्वारा करीब 27 लाख करोड़ रुपये लोगों तक पहुंचाए हैं। यदि उस हिसाब से देखा जाए तो 27 लाख करोड़ में से करीब-करीब 16 लाख करोड़ कहीं चले गए होते।’ जबकि पीएम ने तो यह भी कहा कि आज की ट्रिनिटी से हर लाभार्थी को उसका पूरा हक मिल रहा है। पीएम मोदी ने सोमवार को सीबीआई के कार्यक्रम में  बताया था कि ‘इस व्यवस्था से 8 करोड़ से अधिक फर्जी लाभार्थी सिस्टम से बाहर किए गए हैं। जो बेटी पैदा नहीं हुई वो विधवा हो जाती थी और विधवा पेंशन चलता था। DBT से देश के करीब 2.25  लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचे हैं।’

बीते वित्त वर्ष में जहां लगभग 587 करोड़ तो वहीं 2021-22 में 717 करोड़ डीबीटी ट्रांजैक्शन किए गए थे। भारत ने वर्ष 2014 से लेकर अब तक कुल करीब 29 लाख करोड़ रुपये का डीबीटी ट्रांसफर किया है, जिनमें से 44% पिछले दो वर्षों में थे।

डीबीटी में उछाल क्यों?
केंद्र सरकार ने सरकारी सहायता के गलत हाथों में जाने पर अंकुश लगाने के लिए डीबीटी के तहत योजनाओं की संख्या में वृद्धि की है। वर्ष 2022-23 में केंद्र ने गरीब लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा 1.63 लाख करोड़ रुपये का राशन बांटा। वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए यह आंकड़ा 2.17 लाख करोड़ रुपये रहा था. यह बड़े पैमाने पर केंद्र द्वारा चलाई जा रही मुफ्त राशन योजना- पीएम अन्न योजना- के कारण था, जो कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई थी।

पिछले वित्तीय वर्ष में डीबीटी के तहत सबसे बड़ा भुगतान उर्वरक सब्सिडी के लिए किया गया था, जो 2021-22 में 1.23 लाख करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 2.06 लाख करोड़ हो गया। इसकी तुलना में, 2019-20 में पीडीएस के तहत डीबीटी भुगतान 0.8 लाख करोड़ रुपये और उर्वरक के तहत 0.46 लाख करोड़ रुपये रहा था।

वर्तमान में केंद्र सरकार की 310 योजनाएं डीबीटी के दायरे में आती हैं। सरकार का कहना है कि उसने विभिन्न योजनाओं के तहत फर्जी लाभार्थियों को हटाकर डीबीटी के माध्यम से लगभग 2.73 लाख करोड़ रुपये बचाए हैं।

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